शनिवार, 15 सितंबर 2007

तेरा चेहरा याद आया .....


"देखा चंदा को बदली से निकलते,
आज तेरा चेहरा याद आया...... ।

देखा पंतगों को शमां पर झूमते,

मिलन वो तेरा मेरा याद आया...... ।


मौसम था जो खुश, बहार थी चंचल,
कली को झूमते देखा, तेरा चेहरा याद आया...... ।



यूँ दर्द सह-सहकर मैं आदी हो गया ग़मों का,
मगर जाने क्यों मुझे तेरा दर्द याद आया..... ।।"

शनिवार, 1 सितंबर 2007

तू उस बदली की तरह.....


1.)

"बारिश थम चुकी थी
लेकिन कुछ बादल
टूट बिखर कर अभी भी
इधर उधर दौड़ रहे थे ।

मेरी तरह पागल से
एक आवारा बादल ने
पहाड़ की एक सुन्दर चोटी को
अपनी बाँहों में जकड़ लिया ।

आकाश की ओर ताका
तो उसी पल "मनु"
मुझे तेरा ख़याल आया
दिल में मचलती
एक पुरानी मुलाकात के
रंगीन तसव्वुर ने
मेरे मस्तिष्क को पकड़ लिया॰॰॰"


2.)
"कभी कभी तो तू भी
उस बदली की तरह
मनचली सी हो जाती हो
जिसमें पानी न हो

उस बदली की तरह
जो सूखे खेतों को
अपना चेहरा दिखाकर
उन्हे चँद बून्दों के लिये
भरमा तरसा कर
आकाश में इधर उधर
फिसल जाती हो
और बिना बरसे ही
धीरे से निकल जाती हो॰॰॰॰॰॰।"