शनिवार, 3 नवंबर 2007

अल्फाज़ तेरे नाम के....


तेरे प्यार के रोशन च़रागों से, ज़िन्दगी का अँधेरा मिटा लूँगा,
ज़हमतें आये चाहे जितनी राहों में, ज़हमतें मैं उठा लूँगा ।।

मेरे दिलो-दिमाग पर नक्श तेरे प्यार का रहेगा सदा,
चश्मा-ए-खूँ मे भी तेरी खातिर शौक से नहा लूँगा ।।

खुशनसीबी समझूँ अपनी या समझूँ तेरी रहनुमाई,
तूने मोहब्बत की मुझसे तेरी उल्फ़त में ये जहाँ लुटा लूँगा ।।

मेरे लफ्ज़ों मे सजे रहेगें सदा, अल्फाज़ तेरे नाम के,
'गर मौत भी भेज दी दर पर तूने, हंस के गले लगा लूँगा ।।

जुस्तज़ू तेरी रहेगी हर लम्हा, मेरे इस वज़ूद को,
तुझसे मिलने की चाह में कदम तूफाँ में भी चला लूँगा ।।