शनिवार, 1 सितंबर 2007

तू उस बदली की तरह.....


1.)

"बारिश थम चुकी थी
लेकिन कुछ बादल
टूट बिखर कर अभी भी
इधर उधर दौड़ रहे थे ।

मेरी तरह पागल से
एक आवारा बादल ने
पहाड़ की एक सुन्दर चोटी को
अपनी बाँहों में जकड़ लिया ।

आकाश की ओर ताका
तो उसी पल "मनु"
मुझे तेरा ख़याल आया
दिल में मचलती
एक पुरानी मुलाकात के
रंगीन तसव्वुर ने
मेरे मस्तिष्क को पकड़ लिया॰॰॰"


2.)
"कभी कभी तो तू भी
उस बदली की तरह
मनचली सी हो जाती हो
जिसमें पानी न हो

उस बदली की तरह
जो सूखे खेतों को
अपना चेहरा दिखाकर
उन्हे चँद बून्दों के लिये
भरमा तरसा कर
आकाश में इधर उधर
फिसल जाती हो
और बिना बरसे ही
धीरे से निकल जाती हो॰॰॰॰॰॰।"

6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

behatar kavitayein...

ek sunday jyada intezaar karvaya aur is baar do do kavitaye...vaah maza aa gaya...

baadal aur premika ko ek dor me bandhne ki parmpara pehle bhi rahi hai...
is topic par pehle bhi kavi kalam chala chuke hai...
PAR AAPKA ANDAAZ-E-BAYA MANN KO BHA GAYA...
VISHAL KURMI

सुनीता शानू ने कहा…

दिल में मचलती
एक पुरानी मुलाकात के
रंगीन तसव्वुर ने
मेरे मस्तिष्क को पकड़ लिया॰॰॰"
यादो के झरोखे से झाँकते पलो की याद बहुत सुन्दर अभिव्यक्ती है मनु...
उस बदली की तरह
जो सूखे खेतों को
अपना चेहरा दिखाकर
उन्हे चँद बून्दों के लिये
भरमा तरसा कर
आकाश में इधर उधर
फिसल जाती हो
और बिना बरसे ही
धीरे से निकल जाती हो॰॰॰॰॰॰।
कुछ लफ़्जो मे गहरे उतरते है तुम्हारे अल्फ़ाज मनु...बहुत सुन्दर लिखते रहिये...

कुछ समय से बिजी हूँ मै इसीलिये टिप्पणी नही दे पाती हूँ...

सुनीता(शानू)

dinesh gehlot ने कहा…

Hasrato pe Riwajo ka sakht pahra hai
na jane dil kis ummid pe aa thahra hai
tere ankho me jhalakte gam ki kasam
E-Dost dosti ka rishta bahut gahra hai

dinesh gehlot ने कहा…

Bahut achha hai bhai...........

रंजू भाटिया ने कहा…

मुझे तेरा ख़याल आया
दिल में मचलती
एक पुरानी मुलाकात के
रंगीन तसव्वुर ने
मेरे मस्तिष्क को पकड़ लिया॰॰॰"
सुंदर अल्फाज़ सुंदर भाव के साथ ,,,बहुत खूब

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com